(5) हाथी और चिड़िया का बदला | Hathi ki Kahaniyan -
बहुत पुरानी बात है एक जंगल में एक चिड़िया और चिड़वा रहते थे। एक बार चिड़िया ने अंडे दिए । चिड़वा और चिड़िया दोनों बहुत खुश थे। चिड़िया अंडों की रक्षा कर रही थी और चिड़वा खाना लेने के लिए जंगल गया हुआ था उसी समय जंगल में एक मदमस्त हाथी आया। हाथी बहुत ही ताकतवर और घमंडी था।
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चिड़िया का बदला |
हाथी उसी पेड़ के पास पहुंचा जिसमें चिड़िया रहती थी और जोर-जोर से पेड़ को हिलाने लगा। चिड़िया के मना करने पर भी हाथी जबरदस्ती पेड़ को हिलाते रहा । पेड़ के हिलने से चिड़िया का घोंसला जमीन पर गिर गया और उसके अंडे फूट गए । चिड़िया यह सब देख कर बहुत दुखी हुई।
कुछ समय बाद जब चिड़वा आया तो चिड़िया ने उसको सारी बात बतलाई। चिड़वा और चिड़िया ने मिलकर हाथी से बदला लेने की ठानी। चिड़ा और चिड़िया दोनों मिलकर अपने मित्र कठफोड़वा के पास गए और उससे सहायता मांगी ।
कठफोड़वा जानता था कि वह अकेले हाथी का कुछ नहीं बिगाड़ सकते इसलिए कठफोड़वा चिड़वा और चिड़िया को लेकर मक्खी के पास गया और तीनों ने मिलकर उसे सारी बात बताई । मक्खी भी चिड़िया की सहायता करने के लिए तैयार हो गई किंतु वह सब मिलकर कुछ नहीं कर सकते थे ।
मक्खी ने सबको मेंढक के पास चलने की सहायता दी । चारों मिलकर मेंढक के पास पहुंचे और उसे सारी बात बतलाई । मेंढक ने भी उनकी सहायता करने का भरोसा दिया। किंतु वे सभी मिलकर भी हाथी का कुछ नहीं बिगाड़ सकते थे इसलिए चारों ने मिलकर एक योजना बनाई ।
योजना के अनुसार एक दिन जब हाथी सो रहा था तो मक्खी उसके कान के पास जाकर गुनगुनाने लगी जिससे हाथी मक्खी का गाना सुनने में मगन हो गया उसी समय कठफोड़वा ने हाथी की दोनों आंखों में चोंच मारकर उसको घायल कर दिया। हाथी की आंखों में बहुत दर्द हो रहा था । हाथी किसी भी तरह नदी या तालाब के पानी में जाकर आंखें धोना चाहता था जिससे उसको कुछ राहत मिले।
तभी योजना अनुसार मेंढक एक दलदल के किनारे बैठ गया और टर्राने लगा। हाथी को लगा कि पास से मेंढक की आवाज आ रही है अवश्य ही पास में ही कोई तालाब अथवा नदी है । हाथी तुरंत उस दिशा में भागा जहां से मेंढक की आवाज आ रही थी और जाते ही वह दलदल में फंस गया।
अब हाथी बहुत अधिक परेशान हो गया था क्योंकि उसकी आंखों में बहुत दर्द हो रहा था और वह दलदल में फंस चुका था। अब चिड़िया, चिड़वा, कठफोड़वा, मक्खी और मेंढक भी वहां आ गए | उन सभी को देखकर हाथी ने उनसे सहायता मांगी । हाथी की बात सुनकर वे सभी एक सांथ बोले - " हाथी यह तुम्हारे कर्मों के फल है जो तुम भगत रहे हो। अगर तुमने दूसरों को परेशान नहीं किया होता तो आज तुम्हारी यह हालत नहीं होती | "
हाथी को पूरी बात समझ में आ गई कि उसके घमंड के कारण बहुत से जीवों को नुक्सान हुआ है । हाथी ने अपनी गलती के लिए चिड़िया से क्षमा मांगी। चिड़िया को हाथी पर दया आ गई और उसने हाथी को माफ कर दिया। चिड़िया जंगल के दूसरे जानवरों को बुला कर ले आई और हाथी को दलदल से निकाल लिया।
कुछ दिनों में हाथी की आंखें ठीक हो गई और उसमें सभी जानवरों से माफी मांगी । सभी जानवरों ने हाथी को माफ कर दिया और जंगल में सभी सुख पूर्वक जंगल में रहने लगे।
शिक्षा - "इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी किसी जीव को अकारण परेशान नहीं करना चाहिए।
(6) हाथी और खरगोश की कहानी | Hathi ki kahaniyan -
एक जंगल में हाथियों का समूह रहता था और उस समूह का राजा गजराज था। एक बार जंगल में भयानक अकाल पड़ा । सूखे के कारण अब हाथियों के पास पीने के लिए पानी भी नहीं बचा था । बिना पानी के हाथी व्याकुल हो गए, तभी एक बुजुर्ग हाथी ने सलाह दी कि पास के जंगल में एक विशाल तालाब है जिसका पानी कभी नहीं सूखता सभी को वहीँ चलना चाहिए । सभी को बुरुर्ग हाथी की सलाह अच्छी लगी ।
एक दिन के सफर के बाद सभी हाथी दूसरी जंगल में उस बड़े तालाब के पास पहुंच गए। सभी हाथियों ने जी भर कर पानी पिया और स्नान किया। तालाब के पास ही खरगोशों का झुंड रहता था । हाथियों के आ जाने के कारण कुछ खरगोश हाथियों के पैरों के नीचे आने से दब गए। सभी खरगोश इस बात से बहुत नाराज थे और किसी ना किसी तरह हाथियों को वहां से भगाना चाहते थे।
खरगोशों का मुखिया हाथियों के मुखिया से बात करने के लिए दुसरे ही दिन उस पत्थर पर जा बैठा जिस के निकट से हाथी आते थे। जैसे ही हाथियों का झुंड वहां से निकला खरगोशों का मुखिया गजराज को देख कर बोला - " हे गजराज ! चंद्रमा हम खरगोशों के मुखिया हैं और हाथियों के यहां आ जाने के कारण कई खरगोशों की पैरों तले दबने से मौत हो गई है । इससे चंद्रदेव हाथियों से बहुत अधिक नाराज हैं। अगर हाथियों का झुंड जल्दी यहां से नहीं गया तो वह क्रोधित होकर हाथियों को श्राप दे देंगे। "
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खरगोश और हाथी की कहानी |
गजराज को खरगशों के मुखिया की बात पर विश्वास नहीं हुआ। तभी खरगोशों का मुखिया बोला कि अगर हाथियों को उसकी बात पर विश्वास नहीं है तो वे उसके साथ चलें। सभी हाथी खरगोशों के मुखिया पीछे-पीछे चल दिए और तालाब के पास पहुंचे । पूर्णिमा की रात थी चंद्रमा का प्रतिबिंब तालाब में इस तरह दिखलाई दे रहा था मानो साक्षात चंद्रमा बता रहे हो। खरगोश हाथियों के मुखिया गजराज से बोला - " अगर आप चाहे तो चंद्रदेव से बात कर सकते हैं । वह आपसे बहुत नाराज हैं। "
गजराज जैसे ही चंद्रमा के पास पहुंचा तो उसकी सूंड की हवा से प्रतिबिंब अचानक हिलने लगा ।प्रतिबिंब को हिलता हुआ देख गजराज डर गया उसे लगा मानो चंद्रमा सचमुच नाराज हैं और वह क्रोधित होकर उसे श्राप दे देंगे। गजराज और हाथी तुरंत ही डर कर वहां से चले गए।
हाथियों के जाते ही खरगोशों ने खुश होकर छोटू खरगोश को धन्यवाद दिया। हाथी जब तालाब छोड़ कर लौट रहे थे रास्ते में ही बारिश शुरू हो गई और पानी का संकट खत्म हो गया इस प्रकार खरगोशों की होशियारी से सभी खरगोश और हाथी सुखी पूर्वक सुख पूर्वक अपने अपने क्षेत्र में रहने लगे।
शिक्षा- " इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि बड़े-से बड़े संकट को सूझबूझ से आसानी से दूर किया जा सकता है |"
(7) हाथी और चूहा की कहानी | Hathi ki Kahaniyan -
एक जंगल में एक चूहा रहता था । चूहा बहुत ही घमंडी था और सोचता था कि उसके सामान इस दुनिया में दूसरा कोई नहीं है। एक दिन जंगल में कहीं से एक हाथी आया। जंगल के सभी जानवर हाथी के विशाल शरीर को देखकर उसकी तारीफ करने लगे। हाथी की तारीफ चूहे से बर्दाश्त नहीं हो रही थी और वह बोला - " इस हाथी में ऐसी क्या बात है जो मुझ में नहीं है। इस हाथी के समान तो मेरे भी चार पैर, दो आंखें, एक सिर, एक पूछ है लेकिन इसके कान देखो कितने गंदे लग रहे हैं इसके दांत बाहर निकले हुए हैं और इसकी नाक तो देखो कितनी लंबी है। मेरे दांत नाक कान सभी बहुत सुंदर है।"
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Hathi ki Kahaniyan |
जानवरों की भीड़ में एक बिल्ली भी थी चूहे को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया और उसने चूहे पर हमला बोल दिया चूहा बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर वहां से भागा। चूहा और बिल्ली को भागते हुए एक भूखे कुत्ते ने देख लिया कुत्ते ने बिल्ली और चूहे का पीछा किया। कुत्ते को देखकर बिल्ली भाग गई किंतु चूहा नहीं भाग पाया। कुत्ता चूहे के पीछे पड़ गया तभी भागते भागते चूहे के सामने हाथी आ गया और चूहा हाथी के पैरों तले दबते-दबते बच गया। हाथी को देखकर कुत्ता वहां से भाग गया । हाथी के कारण चूहे की जान बच गई।
शिक्षा- " इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि कभी भी झूठी बातों पर घमंड नहीं करना चाहिए।"
(8)हाथी और घमंडी शेर की कहानी | Hathi ki kahaniyan -
एक जंगल में एक हाथी रहता था वह अपने बीवी बच्चों के साथ बड़ा ख़ुशी-ख़ुशी जीवन व्यतीत कर रहा था। हाथी स्वभाव से बहुत शांत था और वह कभी किसी का बुरा नहीं करता था। उसी जंगल में एक घमंडी शेर रहता था । शेर को अपनी ताकत का बहुत घमंड था। वह अक्सर छोटे जानवरों को परेशान करता था जिसमें शेर को बड़ा मजा आता था। एक बार शेर जंगल में घूम रहा था तभी उसके सामने एक हिरण आ गया शेर ने हिरण का रास्ता रोककर पूछा - " बतलाओ हिरण इस जंगल का राजा कौन? "
शेर को देखकर हिरण बुरी तरह डर गया था और बोला- " महाराज इस जंगल में आपके सिवा और कोई दूसरा राजा हो ही नहीं सकता।" शेर हिरण को छोड़कर फिर आगे बढ़ गया तभी उसे रास्ते में एक लोमड़ी मिली शेर ने लोमड़ी का रास्ता रोक लिया और बोला - " बतलाओ लोमड़ी इस जंगल का राजा कौन।" लोमड़ी बहुत चालाक थी और अपनी जान बचाने के लिए शेर की चापलूसी करते हुए बोली - " महाराज!आप और कौन?"
शेर खुश होता हुआ आगे बढ़ा तभी उसे हाथी आता हुआ दिखलाई दिया। हाथी की कसी कारण से उसकी पत्नी से लड़ाई हो गई थी और हाथी गुस्से में था । उसी समय शेर हाथी के पास आकर उसका रास्ता रोककर बोला -" बताओ हाथी ! इस जंगल का राजा कौन? " हाथी गुस्से में था और उसने शेर को अपनी शोर से पकड़ कर उठा लिया और जमीन पर पटक दिया और शेर की बहुत पिटाई की उसके पश्चात हाथी ने शेर से पूछा- " अब बतलाऊं जंगल का राजा कौन?"
शेर बहुत बुरी तरह पिट चुका था और हाथ जोड़कर बोला- " हाथी भाई ! तुम्हें कुछ बतलाने की जरूरत नहीं है । " और शेर चुपके से वहां से भाग गया।
शिक्षा- " इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हर जगह अपनी हेकड़ी नहीं दिखलाना चाहिए।"
(9) हाथी और कुत्ते की दोस्ती | हाथी की कहानियां -
एक शक्तिशाली राजा था, उसके पास एक शक्तिशाली हाथी था । राजा जब भी युद्ध में जाता तो अपने प्रिय हाथी को अवश्य लेकर जाता और युद्ध जीतकर आता था। धीरे-धीरे हाथी बूढ़ा हो गया और राजा ने उसे युद्ध में ले जाना बंद कर दिया ।
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कुत्ता और हाथी की दोस्ती की कहानी |
राजा ने हाथी के रहने के लिए महल के पास ही घर बनवा दिया और उसमें एक महावत को रख दिया जो हाथी की सेवा करता था। हाथी को खाने के लिए अच्छा-अच्छा भोजन दिया जाता था । हाथी जहाँ रहता था उसी के पास ही एक छोटा सा कुत्ता भी रहता था । हाथी के खाने के बाद जो भोजन बचता था उसे कुत्ता खा लेता था । हाथी ने जब यह सब देखा तो वह कुत्ते को अपने साथ ही खाना खिलाता था । अब कुत्ते का बच्चा भी हाथी के साथ रहता और उसके साथ खाना खाता था। धीरे-धीरे कुत्ते का बच्चा बड़ा होने लगा और काफ़ी हष्ट-पुष्ट हो गया ।
एक बार एक धनवान व्यक्ति की नजर उस कुत्ते पर पड़ी। धनवान व्यक्ति ने महावत को कुछ पैसे दिए और कुत्ते को अपने सांथ ले गया। कुत्ते के बिछड़ने से हाथी अत्यधिक दुखी हो गया और उसने खाना पीना छोड़ दिया । खाना पीना छोड़ने के कारण हाथी बहुत कमजोर पड़ गया। उधर कुत्ता भी हाथी से बिछड़ कर बहुत दुखी था।
एक दिन राजा की नजर हाथी पर पड़ी तो हाथी की हालत देखकर उसे बहुत दुख हुआ उसने अपने सभी महावतों को बुलाया और हाथी की कमजोरी का कारण पूछा। कुछ लोगों ने राजा को बतलाया कि पहले हाथी के सांथ एक कुत्ता रहता था और जब से वह यहां से गया है हाथी ने खाना पीना छोड़ दिया है तभी से हाथी कमजोर हो गया है। राजा ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि किसी भी हाल में उस कुत्ते को ढूंढ कर लाया जाए। सैनिकों ने कुत्ते को ढूंढ लिया और उस धनवान व्यक्ति एवं महावत को भी राजा के सामने पेश किया। राजा भी बहुत दयालु था उसने महावत और उसे धनवान व्यक्ति को क्षमा कर दिया और कुत्ते को हाथी के पास वापस भेज दिया। कुत्ते को देखकर हाथी बहुत खुश हुआ और उसने फिर से खाना पीना शुरू कर दिया धीरे-धीरे हाथी पहले की तरहहष्ट-पुष्ट और बलवान हो गया।
शिक्षा- इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि दोस्ती में बहुत शक्ति होरी है ।
(10) चालाक लोमड़ी घमंडी हाथी की कहानी | Hathi ki kahaniyan -
एक समय की बात है एक जंगल में एक शक्तिशाली हाथी रहता था । हाथी बहुत अधिक घमंडी था। हाथी जंगल के सभी जानवरों को परेशान करता था, कभी किसी हिरण को पकड़कर फेंक देता तो कभी किसी जानवर का घर तोड़ देता था। एक बार की बात है एक लोमड़ियों का समूह बैठा हुआ था। हाथी ने जब लोमड़ियों को बैठा देखा तो उससे गुस्सा आ गया और उसने सभी लोमड़ियों को वहां से जाने के लिए कहा किंतु लोमड़ियों ने वहां से जाने से मना कर दिया जिससे हाथी को गुस्सा आ गया । उसने कुछ लोमड़ियों को पैरों तले दबा दिया तो कुछ को सूंड से उठाकर दूर फेंक दिया जिससे कई लोमड़ियां बुरी तरह घायल हो गई थी।
लोमड़ियां इसका बदला हाथी से लेना चाहती थी। उन लोमड़ियों में चमेली नाम की एक लोमड़ी थी जो बहुत ही चालक थी उसने एक योजना बनाई । योजना अनुसार एक विशाल गड्ढा खोदा गया और उस गड्ढे को घास फूस से इस तरह ढक दिया गया कि वह दिखलाई ना दे । अब आगे की योजना अनुसार चमेली नामक लोमड़ी हाथी के पास गई और उसे प्रणाम कर बोली -" महाराज ! आप इस जंगल के सबसे शक्तिशाली जानवर हैं और हम सब जानवर मिलकर आपको इस जंगल का राजा बनना चाहते हैं।"
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चालाक लोमड़ी का बदला |
चमेली लोमड़ी की बात सुनकर हाथी बहुत खुश हुआ। चमेली लोमड़ी ने फिर कहा - " हम सभी जानवरों ने राज्याभिषेक की तैयारी कर ली है और जंगल के सारे जानवर आपका इंतजार कर रहे हैं । हम सभी आपका राज्याभिषेक अभी करना चाहते हैं इसके लिए आपको हमारे साथ चलना पड़ेगा । "
हाथी भी चमेली लोमड़ी की बात में आ गया और उसके साथ चल दिया। चलते-चलते लोमड़ी हाथी को उसे स्थान पर ले गई जहां से गड्डा था । गड्ढे के ऊपर पतली-पतली लकड़ियां डाली गईं थीं जिनसे होकर चमेली लोमड़ी तो निकल गई क्योंकि उसका वजन कम था किंतु जैसे ही हाथी का पैर उन लकड़ियों पर रखाया सारी लकड़ियाँ उसके बजन से टूट गई और हाथी गड्ढे में गिर गया। गड्ढे में गिरते ही हाथी डर गया और जोर-जोर से सहायता के लिए चिल्लाने लगा । सभी जानवर गड्ढे के पास आ गए और हाथी को उसके किए गए कर्मों की याद दिलाई। हाथी को अपने किए पर बहुत अधिक पछतावा हो रहा था और उसने सभी जानवरों से माफी मांगी और आगे इस तरह के कार्यों को नहीं करने का वचन दिया।
सबी जानवर बहुत दयालु थे सभी जानवरों ने हाथी को माफ कर दिया और हाथी को गड्ढे से निकाल लिया। गड्ढे से निकलने के बाद हाथी सभी जानवरों के साथ सुख पूर्वक रहने लगा और उनकी सहायता करने लगा।
शिक्षा- हाथी और चालाक लोमड़ी की इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें कभी कमजोरों को परेशान नहीं करना चाहिए ।