सच्चे भक्त की कहानी | Bhakt ki kahani

सच्चे भक्त की कहानी | Bhakt ki kahani

सच्चे भक्त की कहानी | Bhakt ki kahani

सच्चे भक्त की कहानी | Bhakt ki kahani -

एक बार की बात है, भगवान् के एक सच्चे भक्त थे। वह बहुत गरीब थे लेकिन भगवान में उनका विश्वास बहुत मजबूत था। वह हर दिन मंदिर जाते थे और भगवान की पूजा करते थे । एक दिन वह मंदिर से घर जा रहे थे कि रास्ते में कुछ डाकू मिल गए । भक्त के पास कुछ सामान और भगवान की कीमती मूर्ति थी। डाकुओं ने भक्त से उनसे सारा सामान माँगा। भक्त ने डाकू को अपना सामान दे दिया, लेकिन उसने भगवान की मूर्ति नहीं दी। डाकुओं के दबाव डालने पर उहोने कहा-" मैं भगवान का भक्त हूं, मैं अपना सामान और अपनी जान दे सकता हूं, लेकिन मैं भगवान को नहीं छोड़ सकता ।"

डाकू भक्त की बात सुनकर हैरान रह गए, उन्होंने कभी किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं देखा था जो भगवान का इतना बड़ा भक्त हो। डाकू ने भक्त से कहा-" मैंने अपनी जिन्दगी में आपके जैसा भक्त नहीं देखा जो भगवान को देने से अच्छा अपनी जान देना उचित समझता हो। मैं आपको कुछ पैसे दे रहा हूं आप इन पैसों से अपना जीवन अच्छे से जी सकते हो।" भक्त ने डाकू के पैसे लेने से मना कर दिया. उसने कहा, "मुझे पैसों की जरूरत नहीं है। मुझे भगवान पर भरोसा है। वह मुझे सब कुछ देगा।" डाकू भक्त की बात सुनकर और भी हैरान रह गया। उसने कभी किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं देखा था जो भगवान् का इतना बड़ा भक्त और इतना इमानदार हो ।

डाकू ने भक्त से आशीर्वाद लिया और वहां से चला गया। भक्त घर गया और भगवान की पूजा करने लगा। वह भगवान को धन्यवाद दे रहा था कि उसने डाकू से उसे बचाया था। भक्त को पता था कि भगवान कभी भी उसका सांथ नहीं छोड़ेंगे। भक्त भगवान की कृपा और अपनी मेहनत से एक दिन बड़ा आदमी बन गया ।

शिक्षा - सच्चे भक्त की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा भगवान पर भरोसा रखना चाहिए। चाहे कितनी भी मुश्किलें आ जाएं, हमें कभी भी भगवान पर भरोसा नहीं छोड़ना चाहिए ।

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