हाथी और रस्सी की कहानी | Hathi aur rassi ki kahani

हाथी और रस्सी की कहानी | Hathi aur rassi ki kahani

हाथी और रस्सी की कहानी | Hathi aur rassi ki kahani

हाथी और रस्सी की कहानी | Hathi aur rassi ki kahani

एक समय की बात है  एक बहुत ही शक्तिशाली  और बलवान हाथी था । उसे बचपन से ही एक महावत ने पाला और उसे तरह-तरह के करतब सिखलाये थे। महावत प्रतिदिन हाथी को बाजार ले जाता था । हाथी बाजार में करतब दिखलाता था करतब देखकर लोग खुश होते और हाथी और महावत को पैसा देते थे इसी पैसे को महावत एकत्र कर लेता था और उसी से उसकी रोजी-रोटी का चलती थी ।

घर जाने के पश्चात महावत हाथी को एक पतली सी रस्सी से बांध देता था। लोगों को यह बात बड़ी अजीब सी लगती थी कि इतना हट्टा-कट्टा हाथी इतनी पतली सी रस्सी से कैसे बंधा हुआ था। एक दिन एक व्यक्ति ने महावत से पूछा- " महावत भाई ! आपका हाथी तो इतना हष्ट-पुष्ट और बलवान है किंतु आप इसे  इतनी पतली सी रस्सी से बांधते हो,  हाथी जब चाहे इस रस्सी को बड़ी ही आसानी से तोड़ सकता है फिर भी वह ऐसा नहीं करता । इसका क्या कारण है? "
 
उस व्यक्ति की बात सुनकर महावत बोला -" कई साल पहले जब मैं हाथी को जंगल से लेकर आया था तब हाथी छोटा था   तब मैं  इसे इसी तरह की पतली सी रस्सी से बांधा करता था। उस समय हाथी बहुत छोटा था उसने कई बार इस रस्सी को तोड़ने का प्रयास किया किंतु बचपन में वह इसे  नहीं तोड़ सका । धीरे-धीरे उसके मन में यह बात बैठ गई कि वह कभी भी इस रस्सी को नहीं तोड़ पायेगा। अब हाथी बड़ा हो चुका है वह चाहे तो एक ही झटके में इस रस्सी को तोड़ सकता है किंतु हाथी अब इस रस्सी को तोड़ने का प्रयास भी नहीं करता क्योंकि वह सोचता है  कि वह इस रस्सी को नहीं तोड़ पाएगा। किंतु अब वह चाहे तो इस रस्सी को एक ही झटके में तोड़ सकता है।"  
 
व्यक्ति को सारी बात समझ में आ गई कि किसी भी जीव के दिमाग में जो बात बैठ जाए वह सारी उम्र उसके सांथ रहती है  
 
शिक्षा -  हाथी  की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि जो बात बचपन में हमारे दिलों दिमाग में बैठ जाती है वह सारी उम्र साथ रहती है। इसीलिए बच्चों को बचपन में अच्छी सीख देनी चाहिए ताकि वह सारी उम्र उस पर अमल कर सकें।

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